Top Guidelines Of सूर्य पुत्र कर्ण के बारे में रोचक तथ्य

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तभी कर्ण पासा पर झपटा जिसके कारण भानुमती का पल्लू और कान की बाली और गले की हार जमीन पर गिर जाता है और उसी वख्त दुर्योधन वह पहुच जाता है

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इस प्रकार प्राणों की परवाह न करके अपनी प्रतिबद्धता अनुरूप दानशील कर्ण का नाम चिर स्मरणीय रहेगा.

वर्णमंडल – प्रकाश मंडल के ऊपर गर्म गैसों की परत पायी जाती है जिसे वर्ण मंडल कहते है और इसे कोरोना परत भी कहते है गैसों से बना होने के कारण इस भाग का घनत्व सबसे कम होता है इस परत से बहुत ही कम प्रकाश उत्सर्जित होता है प्रकाश मंडल के प्रकाश के कारण यह परत अद्रश्य रहती है लेकिन जब सूर्य ग्रहण आता है तो प्रकाश मंडल निकलने वाला प्रकाश चन्द्रमा से रुक जाता है और यह परत दिखाई देने लगती है

अच्छी निंद्रा के लिए श्लोक - मन्त्र क्रमांक १

कर्ण एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- कर्ण (बहुविकल्पी)

इनका नाम सदैव दूसरों की मदद करने में, साहस में, अपनी दानवीरता में, निस्वार्थ भाव के लिए और अपने पराक्रम के लिए लिया जाता हैं.

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२. देवराज इन्द्र जिन्होंने बिच्छू के रूप में कर्ण की क्षत्रिय पहचान उसके गुरु के सामने ला दी और अपनी पहचान के सम्बन्ध में अपने गुरु से मिथ्याभाषण के कारण (जिसके लिए कर्ण स्वयं दोषी नहीं था क्योंकि उसे स्वयं अपनी पहचान का ज्ञान नहीं था) उसके गुरु ने उसे सही समय पर उसका शस्त्रास्त्र ज्ञान भूल जाने का श्राप दे दिया।

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तब अर्जुन के पिता इंद्र ने भिक्षुक बनकर मध्याह्न पूजा के समय कवच कुंडल की मांग की, इस प्रसंग में सूर्यदेव द्वारा पूर्व में ही सतर्क करने पर वचनबद्धता पर दृढ रहकर, आसन भवितव्य का पूर्वानुमान होने पर भी इंद्र को कवच कुंडल का दान देना तथा प्रत्युतर में वरदान लेने से इनकार करना महाभारत के विविध चरित्रों में कर्ण को सर्वोतम स्थान पर पहुचाता है.

महाभारत में अपनी वीरता के कारण जिस सम्मान से कर्ण का स्मरण होता है, उससे अधिक आदर उन्हें उनकी दानशीलता के कारण दिया जाता है. कर्ण का शुभ संकल्प था कि वह मध्याह्न में जब सूर्यदेव की आराधना करता है, उस समय उससे जो भी माँगा जाएगा, वह वचनबद्ध होकर उसको पूर्ण करेगा.

इस प्रकार बालक कर्ण का जन्म हुआ. इस प्रकार कर्ण की माता कुंती और पिता भगवान सूर्य थे.

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